बोनाफाइड स्टार्टअप

"ट्रू डॉट एआई" ने आईएनआर 100मिलियन, 500m (20% स्टेक) के मूल्यांकन पर एकत्रित करे

कंपनी की विशेषताएं

o घोषित डोमेन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता

o बैलेंस शीट के अनुसार एसेट: शून्य

o संस्थापकों के अलावा अन्य 3 कर्मचारी

o अगले 18 महीनों तक कोई राजस्व प्राप्ति का अनुमान नहीं है

o कंपनी की आयु: निगमन के बाद 8 महीने

o मर्चेंट बैंकर सर्टिफिकेट: मान्यताओं के आधार पर अप्रूव करता है

 

 

गलत उद्देश्य से बनाए गए स्टार्टअप

एक अवैध प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन के कारण प्रथम को आदित्य को आईएनआर 100मिलियन देना है. अगर प्रथम, आदित्य को भुगतान करता है, तो आदित्य को उस पर 30% टैक्स का भुगतान करना होगा.

आदित्य ने एक कंपनी बनाई: "फाल्स डॉट एआई" और प्रथम को आईएनआर 100एम में 20% शेयर बेचे.

 

कंपनी की विशेषताएं

o घोषित डोमेन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता

o संस्थापकों के अलावा अन्य 3 कर्मचारी

o बैलेंस शीट के अनुसार एसेट: शून्य

o अगले 18 महीनों तक कोई राजस्व प्राप्ति का अनुमान नहीं है

o कंपनी की आयु: निगमन के बाद 8 महीने

o मर्चेंट बैंकर सर्टिफिकेट: मान्यताओं के आधार पर अप्रूव करता है

दो लेन-देन बाहर से देखने पर बिलकुल एक जैसे लगते हैं. भुगतान को निवेश के रूप में दिखा कर टैक्स चोरी की जाती है. कर विभाग[1] दूसरे मामलों जैसे सभी मामलों पर टैक्स लगाना चाहते हैं.

यह अनिश्चित बाज़ार का एक उत्कृष्ट उदाहरण है

अगर ऐसे इन्वेस्टमेंट पर से टैक्स हटा दिया गया है, तो सभी इनकम को इस तरीके से परिवर्तित करने की कोशिश की जा सकती है. इससे अवैध आय आनी शुरू होगी और पूंजीगत वस्तुओं की बिक्री तथा प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन शुरू हो जाएगा. कंपनी पर्याप्त बार्गेनिंग पावर के साथ सभी कर्मचारियों वेतन के भुगतान की बजाय अपनी शैल कंपनियों में इक्विटी खरीदने के लिए बाध्य करेगी, जिससे उन्हें 30% का अतिरिक्त लाभ मिलेगा.

समय के साथ इस प्रकार की छूटों को समाप्त करना होगा और ऐसे सभी ट्रांजैक्शन पर टैक्स लगेगा. इस प्रकार से किसी के पास भी इस मार्ग से ट्रांजैक्शन करने का कोई विकल्प नहीं बचेगा. स्टार्टअप को मिले सभी निवेश पर एक सामान टैक्स दर होगा.

खेल सिद्धांत के संदर्भ में, वे समान होंगे. यह स्टार्टअप को अलग तरीके से प्रभावित नहीं करेगा, लेकिन हर कोई और भी खराब हो जाएगा[2]. ऐसा इसलिए है क्योंकि सभी स्टार्टअप को निवेश का 70% मिलेगा. एक मानकीकृत लेवी एक डेडवेट लॉस बनाता है क्योंकि सेवा आपूर्तिकर्ताओं को बेची गई प्रत्येक यूनिट के लिए बहुत कम मिलता है.

अधूरी जानकारी से बचाव है सही और पूरी जानकारी. इसे नीचे दिए गए तरीकों से प्राप्त किया जा सकता है:

1. रिस्क इंश्योरेंस: यह एसिमेट्री के प्रभाव को कम कर सकता है. अगर निर्णय में कोई दोष होने पर कोई फर्क नहीं पड़ता है, तो एसिमेट्री का लाभ खत्म हो जाएगा. इंश्योरेंस इसके साथ ही आवश्यकताओं के प्रति अधिक जागरूकता और औपचारिकता भी लाता है.

2. पारदर्शिता: पारदर्शिता में वृद्धि से इनफार्मेशन एसिमेट्री कम हो जाती है. यह विक्रेता के लिए उच्च प्रकटीकरण आवश्यकताओं को आवाश्दयक बनाता है.

3. टेस्टिंग/सत्यापन: अगर प्रोडक्ट को खरीदार द्वारा टेस्ट किया जा सकता है, तो इससे जानकारी बढ़ेगी. यह एक्स-एंट के साथ-साथ एक्स-पोस्ट भी संभव है.

4. थर्ड पार्टी वैलिडेशन: अगर एक स्वतंत्र पार्टी दर्शायी गयी जानकारी के लिए प्रमाण-पत्र देने को तैयार होती है, तो यह असमानता को दूर करने में मदद करता है. अगर स्वतंत्र पार्टी में विश्वसनीयता है, तो यह उपलब्ध जानकारी को और विश्वसनीय बना देता है.

इस्तेमाल की गई कारों के मार्केट में, यह निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:

1. रिस्क इंश्योरेंस: इंश्योरेंस के अलावा, यह मनी-बैक गारंटी स्कीम के माध्यम से किया जाता है

2. पारदर्शिता: वाहनों का इतिहास सुनिश्चित करने के लिए, वाहनों में ऑन-बोर्ड डिवाइस और अन्य साधन.

3. टेस्टिंग/सत्यापन: कार निर्माता कार खरीदते हैं और उन्हें अपनी विश्वसनीयता के साथ उन्हें दोबारा बेचते हैं. मारुति ट्रू वैल्यू 376 टेस्ट करने का दावा करती है.

4. थर्ड पार्टी का सत्यापन: Cars24 और कार देखो सत्यापन, टेस्टिंग, वारंटी और उनकी विश्वसनीयता प्रदान करते हैं.

 

इसे, एंजल टैक्स पर लागू किया जाना हमारे लिए समस्या है

1. जोखिम बीमा:

a. अगर आयकर विभाग धोखाधड़ी के लेन-देन को पहचानने में विफल होता है, तो इन्वेस्टमेंट वर्ष के आठ वर्ष बाद तक भी नोटिस भेज सकता हैं.

पूरी. अगर स्टार्टअप को किसी प्रकार का कोई नोटिस प्राप्त होता है, तो उसका जवाब कंसलटेंट और वकीलों के माध्यम से दिया जाना चाहिए और इसमें पैसे से जुड़ा कोई भुगतान या दायित्व नहीं होना चाहिए.

2. पारदर्शिता: यह काम होने के बाद की मंज़ूरी से हो रहा है जहां ट्रांजैक्शन से संबंधित स्टार्टअप से जुड़ी जानकारी निकाली जाती है जिससे मूल्यांकन का आधार और फंड का स्त्रोत पता किया जाता है. इस प्रक्रिया में सुधार किया जा सकता है.

3. टेस्टिंग/वेरिफिकेशन: राशि का उपयोग होने के बाद टैक्स विभाग ट्रांजैक्शन की प्रकृति को समझ सकता है.

4. थर्ड पार्टी का सत्यापन: डीआईपीपी, इनकम टैक्स एक्ट, 1962 के सेक्शन 56 से छूट के लिए एप्लीकेशन आंकलन करता है.

अगर आपके पास भी इनफार्मेशन एसिमेट्री की समस्या का समाधान करने के बारे में कोई सुझाव है, तो उन्हें शेयर करना बेहतर होगा.

 

 

 

 

[1] यह एक कंप्यूटर असिस्टेड स्क्रूटिनी सेलेक्शन (सीएएसएस) के माध्यम से किया जाता है जो हस्तचालित हस्तक्षेप को कम करता है.

[2] एक्सचेकर को छोड़कर.