केंद्रीय बजट 2019-20 ने स्टार्टअप के इक्विटी शेयरों को सब्सक्राइब करने में ऐसी ट्रांसफर के मुनाफ़ों के निवेश पर आवासीय प्रॉपर्टी के रूप में दीर्घकालिक कैपिटल एसेट पर टैक्स में छूट देने का प्रस्ताव रखा है.
अ. स्टार्ट-अप में शेयर कैपिटल की 50% होल्डिंग या वोटिंग अधिकार के मामले में 25% तक छूट दी जाती है
b. सेक्शन 54GB के तहत लाभ का विस्तार 31st मार्च 2021 को या उससे पहले रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की बिक्री के लिए उपलब्ध होगा
c. नए एसेट चाहे वह कंप्यूटर हो या कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के ट्रांसफर को प्रतिबंधित करने की शर्त की अवधि वर्तमान 5 वर्ष से घटाकर 3 वर्ष करने का प्रस्ताव
केंद्रीय बजट 2019-20 ने स्टार्टअप को दो शर्तों में से किसी एक को पूरा करने पर, नुकसान को आगे ले जाने या कैरी फॉरवर्ड करने की सुविधा देने का प्रस्ताव दिया है:
a. 51% शेयरहोल्डिंग/वोटिंग पावर की निरंतरता या
b. वास्तविक शेयरधारकों के 100% की निरंतरता.
पहले उन स्टार्टअप के सभी शेयरधारकों के लिए समान बने रहने की शर्त थी, जिन्होंने वर्ष के अंतिम दिन या जिन वर्षों में नुकसान उठाना पड़ा था तब वोटिंग पावर वाले शेयरों को रखा था.
जैसे वर्तमान में 'पास थ्रू ऑफ इनकम' की अनुमति दी जाती है, उसी तरह श्रेणी I और II एआईएफ के मामलों में केंद्रीय बजट 2019-20 ने 'पास थ्रू ऑफ लॉस' की अनुमति देने का प्रस्ताव रखा है.
वर्तमान में, कैटेगरी-आईएआईएफ द्वारा किए गए निवेश के लिए, आईटी अधिनियम की धारा 56(2)(viib) के प्रावधानों के लागू होने पर, छूट दी जाती है. केंद्रीय बजट 2019-20 ने इस छूट को कैटेगरी-II एआईएफ तक विस्तारित करने का सुझाव दिया है.
कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय ने 16th अगस्त, 2019 को एक नोटिफिकेशन जारी किया जिसमें स्टार्टअप के प्रमोटर और निदेशकों (10% से अधिक इक्विटी रखने वाले) को ईएसओपी प्रदान की जा सकती है, निगमन की तिथि से 5 वर्ष से 10 वर्ष तक और इस प्रकार 19th फरवरी, 2019 दिनांकित डीपीआईआईटी अधिसूचना में निर्दिष्ट प्रावधानों के साथ कंपनियों (शेयर कैपिटल और डिबेंचर) नियमों के प्रावधानों को संरेखित किया गया.
इस अधिसूचना ने कंपनी के कुल पोस्ट-इश्यू पेड अप इक्विटी कैपिटल के लिए डिफरेंशियल वोटिंग अधिकारों के लिए शेयरों की सीमा को कुल वोटिंग क्षमता के 26% से बढ़ाकर 74% कर दिया गया है. इसके अलावा, डीवीआर शेयर जारी करने के लिए, कंपनी के पिछले तीन सालों में लगातार वितरण योग्य लाभ अर्जित करने का ट्रैक रिकॉर्ड होने की आवश्यक शर्त को भी हटा दिया गया है.
केंद्र या राज्य सरकार या केंद्र या राज्य सरकार के किसी एजेंसी या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम द्वारा फंड किए गए इनक्यूबेटरों पर सीएसआर 2% फंड खर्च किया जा सकता है और सार्वजनिक-वित्तपोषित विश्वविद्यालयों, आईआईटी, राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और स्वायत्त निकायों (आईसीएआर, आईसीएमआर, सीएसआईआर, डीएई, डीआरडीओ, डीएसटी, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत स्थापित) के लिए एसडीजी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और दवा में अनुसंधान करने में लगे योगदान दे सकते हैं.