स्टार्टअप इंडिया हब, स्टार्टअप इकोसिस्टम के सभी हिस्सेदारों के लिए एकमात्र मंच है, जो एक-दूसरे से बातचीत करने, ज्ञान का आदान-प्रदान करने और अत्यधिक गतिशील वातावरण में सफल भागीदारी बनाने का मौका देता है.
स्टार्टअप इंडिया हब, स्टार्टअप इकोसिस्टम के सभी हिस्सेदारों के लिए एकमात्र मंच है, जो एक-दूसरे से बातचीत करने, ज्ञान का आदान-प्रदान करने और अत्यधिक गतिशील वातावरण में सफल भागीदारी बनाने का मौका देता है.
निवेशक, खास तौर पर पूंजीपति (वीसी) कई तरीकों से स्टार्टअप को बेहतर बनाता है:
1. स्टेकहोल्डर का प्रबंधन: स्टार्टअप को बेहतर तरीके से चलाने के लिए निवेशक, स्टार्टअप को नेतृत्व देता है और कंपनी बोर्ड का प्रबंधन करता हैइसके अलावा, उसके कार्यात्मक अनुभव, स्टार्टअप में निवेश और काम करने की जानकारी कंपनी को एक दृष्टि और दिशा प्रदान करती है.
2. फंड जुटाना: निवेशक, स्टेज, मेच्योरिटी और सेक्टर फोकस आदि के आधार पर अलग-अलग दौर में फंडिंग जुटाने के लिए स्टार्टअप के लिए बेहतर मार्गदर्शक होते हैं. निवेशक, फाउंडर्स के बीच में नेटवर्किंग बढ़ाने और संबंध जोड़ने में मदद करते हैं, ताकि वह अन्य निवेशकों को अपने बिज़नेस के बारे में बता सकें.
3. प्रतिभा का चयन: स्टार्टअप के लिए उच्च गुणवत्ता वाले और सबसे उपयुक्त व्यक्ति की तलाश करना मुश्किल काम है. खासकर तब, जब वरिष्ठ अधिकारियों को व्यावसायिक लक्ष्यों के प्रबंधन और संचालन के लिए भर्ती करने की बात आती है, तो इसके लिए पूंजीपति अपने व्यापक नेटवर्क के ज़रिए सही समय पर सही लोगों को भर्ती करके उस कमी को पूरा करने में मदद कर सकते हैं.
4. मार्केटिंग: पूंजीपति आपके उत्पाद/सेवा के लिए मार्केटिंग रणनीति में सहयोग करते हैं.
5. M&A गतिविधि: इस इकोसिस्टम के दूसरे अन्य उद्यमियों के साथ मर्जर और उनके अधिग्रहण के अवसरों को देखते हुए, पूंजीपति हमेशा अपनी आंख और कान खुले रखते हैं, ताकि असामान्य वृद्धि के ज़रिए व्यवसाय को ज़्यादा से ज़्यादा बेहतर बनाया जा सके.
6. संस्थागत पुनर्संरचना: एक युवा स्टार्टअप जब एक स्थापित कंपनी के रूप में परिपक्व हो जाता है, तो वेंचर कैपिटलिस्ट ऑर्गनाइजेशन के सही स्ट्रक्चर में मदद करते हैं और उस प्रक्रिया के बारे में बताते हैं जिससे कम लागत में, कंपनी की पूंजी और कुशलता दोनों में वृद्धि हो सके.
स्टार्टअप में निवेश जोखिम भरा काम है, लेकिन ओवरहेड कैपिटल की कम जरूरत और स्टार्टअप के आगे बढ़ने की संभावनाओं को देखते हुए निवेशकों को स्टार्टअप पर दांव लगाना फायदे का सौदा दिखता है.
थॉमसन रॉयटर्स वेंचर कैपिटल रिसर्च इंडेक्स के मुताबिक 1996 के बाद से 2012 तक वेंचर कैपिटल इंडस्ट्री को करीब 20 प्रतिशत सालाना का रिटर्न मिला है, जबकि इसके मुकाबले पब्लिक इक्विटी और बॉन्ड में 7.5% और 5.9% का मामूली रिटर्न मिला.
हब पर प्रोफाइल रजिस्ट्रर करना आसान प्रक्रिया है.
आपकी इंडस्ट्री और उसके ज़रूरी चरण के हिसाब से आप संबंधित हिस्सेदार से जुड़ सकें, इसी को ध्यान में रखकर यह सिस्टम बनाया गया है. प्रत्येक इनेबलर की प्रोफाइल के साथ 'जुड़ें/अप्लाई करें' करने का विकल्प होगा. इस पर क्लिक करने के बाद स्वीकृति के लिए संबंधित प्रोफाइल को अनुरोध भेजा जाएगा. इसे स्वीकार किए जाने के बाद आप इनेबलर को नए कनेक्शन के रूप में देख सकेंगे.
कृपया याद रखें, आप एक सप्ताह में अधिकतम तीन यूजर से ही कनेक्ट हो सकते हैं.
ऐसी कोई भी कंपनी, जिसका कम से कम एक कार्यालय भारत में रजिस्टर हैं, हब पर रजिस्ट्रेशन के लिए पात्र हैं क्योंकि स्थान संबंधी प्राथमिकताएं, इस समय केवल भारतीय राज्यों के लिए बनाई गई हैं. हालांकि, हम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहे हैं और जल्द ही हम हिस्सेदारों के लिए ग्लोबल इकोसिस्टम से जुड़े रजिस्ट्रेशन शुरू कर सकेंगे
कंटेंट पब्लिश करने के लिए आप हमें इस आईडी पर लिख सकते हैं startupindiahub@investindia.org.in
स्टार्टअप इंडिया लर्निंग प्रोग्राम स्टार्टअप इंडिया द्वारा एक मुफ्त ऑनलाइन उद्यमिता कार्यक्रम है. इस कार्यक्रम का लक्ष्य है, उद्यमियों को अपने विचारों व उद्यमों को संगठित शिक्षण के साथ, अगले स्तर पर लेकर जाने में मदद करना. यह 4-हफ्ते चलने वाला प्रोग्राम , भारत के 40+ श्रेष्ठ संस्थापकों द्वारा, एक नया स्टार्टअप शुरू करने के मुख्य क्षेत्रों के बारे में ज्ञान प्रदान करता है.
इच्छुक व्यक्ति इस लिंक पर निःशुल्क नामांकन कर सकते हैं https://www.startupindia.gov.in/content/sih/en/learning-and-development_v2.html.
और अधिक कोर्स के लिए, कृपया https://www.startupindia.gov.in/content/sih/en/reources/l-d-listing.html पर जाएं.
इसके अलावा, इनक्यूबेटर्स पूरे भारत में नवीन स्टार्टअप्स को मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं. आपके संदर्भ के लिए स्टार्टअप इंडिया पोर्टल पर इनक्यूबेटर्स की सूची उपलब्ध है.
हां, बिना पैन कार्ड वाली संस्था को हमारी वेबसाइट पर स्टार्टअप के रूप में रजिस्टर किया जा सकता है. हालांकि, आपको ये सलाह दी जाती है कि रजिस्ट्रेशन के समय संस्था का मान्य पैन नंबर प्रदान करें
हां. वन पर्सन कंपनी स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत लाभ ले सकती हैं.
हां, एक विदेशी नागरिक एलएलपी अधिनियम के तहत पार्टनरशिप कर सकता है और उस एलएलपी को हमारी वेबसाइट पर रजिस्टर करवा सकता है. इसे डीआईपीपी से मान्यता भी मिल सकती है.
रजिस्ट्रेशन के समय संस्था के अधिकृत प्रतिनिधि का केवल एक मोबाइल नंबर और एक लैंडलाइन नंबर प्रदान किया जा सकता है. पोर्टल और मोबाइल ऐप प्रमाणीकरण और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए यूज़र द्वारा दिए गए मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी भेजा जाएगा.
'स्टार्टअप' के रूप में मान्यता की प्रक्रिया मोबाइल ऐप/ पोर्टल https://www.startupindia.gov.in/content/sih/en/startupgov/startup-recognition-page.html पर ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से पूरी होती है.
आपको स्थापना/ रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट अपलोड करना होगा और यह बताना होगा कि आपका स्टार्टअप उत्पादों या प्रोसेस या सेवाओं के इनोवेशन, विकास या सुधार की दिशा में कैसे काम कर रहा है या रोजगार सृजन या धन कमाने के मामले में इसकी क्षमता क्या है.
मान्यता सर्टिफिकेट आमतौर पर एप्लीकेशन सबमिशन के 2 कार्अगरवसों के भीतर जारी कर दिया जाता है.
हां, अगर आपका स्टार्टअप मान्यता प्राप्त कर लेता है, तो आप सिस्टम द्वारा उत्पन्न सत्यापन योग्य मान्यता सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सकेंगे.
औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग का अंतर-मंत्रालयी बोर्ड कर संबंधी लाभ प्रदान करने के लिए स्टार्टअप को मान्यता प्रदान करता है. बोर्ड में निम्नलिखित सदस्य शामिल हैं:
· संयुक्त सचिव, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग, संयोजक
· जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रतिनिधि सदस्य
· विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रतिनिधि सदस्य
बोर्ड यह सुनिश्चित करने के लिए दिए जमा किए गए डॉक्यूमेंट की समीक्षा करेगा कि क्या संस्था कर का लाभ उठाने के लिए योग्य व्यवसाय के रूप में पात्र है या नहीं.
अंतर-मंत्रालयी बोर्ड की मीटिंग महीने में एक बार होती है. मीटिंग में मामलों को एक क्रम में प्रोसेस किया जाता है. इसके बाद अंतिम निर्णय के बारे में कोई भी सूचना स्टार्टअप के रजिस्टर्ड ईमेल एड्रेस पर भेजी जाती है.
आईएमबी बैठक के अद्यतन का नियमित रूप से पालन करने के लिए, आप हमारी वेबसाइट पर आईएमबी नोटिफिकेशन पर क्लिक करके देख सकते हैं क्लिक करें.
अगर मान्यता आवेदन को अपूर्ण चिह्नित कर दिया जाता है, तो स्टार्टअप को निम्न चरणों का पालन करना होता है:
1) www.startupindia.gov.in पर उनके स्टार्टअप विवरण के साथ लॉग-इन करें
2) राइट पैनल पर 'मान्यता और कर छूट' बटन का चयन करें
3) 'एडिट एप्लीकेशन' बटन का चयन करें और अपने आवेदन को पूरा करें
अगर आवेदन को तीन बार 'अपूर्ण' चिह्नित कर दिया जाता है, तो आवेदन रिजेक्ट हो जाता है.
रिजेक्ट कर दिए गए आवेदन को एडिट नहीं किया जा सकता है, और रिजेक्शन ईमेल मिलने की तारीख से तीन महीने बाद एक नया आवेदन दाखिल किया जा सकता है.
स्टार्टअप इंडिया वेबसाइट पर प्रोफाइल रजिस्टर करने की प्रक्रिया बहुत आसान है:
बस 'रजिस्ट्रेशन करें' पर क्लिक करें और रजिस्ट्रेशन फॉर्म में आवश्यक विवरण भरें. आपके रजिस्टर ईमेल एड्रेस पर एक OTP भेजा जाएगा, जिसे सबमिट करने के बाद आपकी प्रोफाइल बन जाएगी.
· आपके पास अपनी प्रोफ़ाइल का प्रकार चुनने का विकल्प होगा. अपने व्यक्तित्व के प्रकार में "इनेबलर" चुनें, जिसके बाद आपसे आपका इनेबलर प्रकार पूछा जाएगा. अपने उद्देश्य के आधार पर ड्रॉप डाउन बॉक्स में परामर्शदाता/निवेशक का चयन करें. यह प्रोफाइल 24-48 घंटों के लिए विचाराधीन है, और जब क्वॉलिटी अश्योरेंस टीम प्रारंभिक जांच कर लेगी, तब आपकी प्रोफाइल लाइव हो जाएगी
एक मेंटर के रूप में आपके पास हब पर सभी रजिस्टर्ड स्टार्टअप से सभी चरणों की जानकारी होती है. स्टार्टअप आपसे एक कनेक्शन अनुरोध के द्वारा जुड़ सकते हैं, जिसके बाद आप अपनी विशेष सलाह स्टार्टअप को उसके अगले कदम लेने के लिए दे सकते हैं. अधिक जानने के लिए, कृपया mentor’s section पर जाएं
र्स्टाटअप में प्रत्येक सप्ताह में 3 कनेक्शन अनुरोध भेजने की अनुमति है. मेंटर की प्रोफाइल पर "कनेक्ट" पर क्लिक करके ऐसा किया जा सकता है. जब आप कनेक्शन अनुरोध स्वीकार कर लेते हैं, तो आप एक साधारण चैट इंटरफेस के माध्यम से स्टार्टअप तक पहुंच सकते हैं. आप उन स्टार्टअप के बारे में अधिक जान सकते हैं, जो उनकी प्रोफाइल पर क्लिक करके और उनके बारे में पढ़कर आपसे जुड़े हैं.
हालांकि हम अपने मंच पर अधिक से अधिक जुड़ाव को प्रोत्साहित करते हैं, फिर भी हम यह समझ सकते हैं कि आप जैसे उच्च गुणवत्ता वाले परामर्शदाता निवेशकों से संपर्क करने के लिए स्टार्टअप में उत्साह हो सकता है, जिससे स्पैम अनुरोध की संभावना भी बढ़ती है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्टार्टअप परामर्शदाता/निवेशक अनुरोधों के साथ अनुदार और सतर्क है, हम प्रत्येक सप्ताह प्रत्येक स्टार्टअप को 3 संपर्क अनुरोधों की ही अनुमति देते हैं.
आपकी मेंटरिंग यात्रा में सहायता करने के लिए, हमने प्लग एंड प्ले टेम्प्लेट से लेकर मार्केट रिसर्च रिपोर्ट तक के संसाधनों का एक विशाल भंडार एकत्र किया है, जो मेंटर और स्टार्टअप दोनों को उनके डिस्पोजल के बेहतर अवसर देने में मदद कर सकता है. पोर्टल पर दिए गए शीर्ष रिबन के माध्यम से हमारे संसाधनों के भंडार को नेविगेट करें.
भारत के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में हमारे परामर्शदाता के योगदान के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रदर्शित करने के लिए, हमारे स्टार्टअप्स की तिमाही फीडबैक के आधार पर, हम प्रशंसा पत्र साझा करते हैं. अपने सोशल प्लेटफॉर्म पर इनका उपयोग करने में संकोच न करें और हमें टैग करना न भूलें!
पेटेंट कार्यालय द्वारा पेटेंट आवेदन स्वीकार किए जाने के बाद, मददकर्ता एसआईपीपी स्कीम में दी गई शुल्क अनुसूची के अनुसार फीस के लिए दावा करेगा.संबंधित पेटेंट कार्यालय के कार्यालय प्रमुख के नाम एक पत्र, आवेदन का प्रारूप तैयार करने के लिए दावा किए गए शुल्क का विवरण और एक रजिस्टर पेटेंट एजेंट के रूप में उसका आईडी प्रूफ, बिल के साथ जमा करना होगा.
मददकर्ता, ट्रेड मार्क रजिस्ट्री के कार्यालय प्रमुख को शुल्क के भुगतान के लिए दावा प्रस्तुत करेगा.संबंधित ट्रेड मार्क कार्यालय के कार्यालय प्रमुख के नाम एक पत्र, आवेदन का प्रारूप तैयार करने के लिए दावा किए गए शुल्क का विवरण और एक रजिस्टर ट्रेड मार्क एजेंट के रूप में उसका आईडी प्रूफ, बिल के साथ जमा करना होगा.
विभिन्न निवेशक किसी निवेश के मूल्यांकन के लिए अलग-अलग मानदंड का उपयोग करते हैं. निवेश के स्तर, स्टार्टअप का क्षेत्र, प्रबंधन टीम आदि के आधार पर हर कारक के महत्व पर ध्यान दिया जाएगा. निवेशकों द्वारा उपयोग किए जाने वाले निवेश के खास मानदंड नीचे देखिए:
1. मार्केट लैंडस्केप: जिस क्षेत्र में स्टार्टअप काम कर रहा है, उसके बाजार से संबंधित जानकारी.
प्रमुख कारक: बाज़ार का आकार, सुलभ बाज़ार में हिस्सेदारी, अभिग्रहण दर, पूर्व और पूर्वानुमानित विकास दर, अर्थव्यवस्था संचालक, मांग व आपूर्ति
2. स्केलेबिलिटी एवं निर्वहनीयता: स्टार्टअप को निकट भविष्य के लिए अपनी संभावना दिखानी चाहिए और निर्वहनीय और मजबूत बिज़नेस प्लान बताना चाहिए.
प्रमुख कारक: शुरू करने में होने वाली मुश्किलें, लागत, ग्रोथ रेट और एक्सपेंशन प्लान
3. उद्देश्य और समस्या सुलझाना: स्टार्टअप की पेशकश कुछ अलग होनी चाहिए, जिसमें ग्राहकों की समस्याएं सुलझाने और उनकी जरूरतों को पूरा करने का यूनीक प्लान हो. जिन आइडिया या प्रोडक्ट का पेटेंट हुआ हो, उन स्टार्टअप में ज्यादा संभावना होती है.
4. ग्राहक एवं सप्लायर: ग्राहकों और सप्लायर्स का खाका खींचना, निवेशकों को आपका बिज़नेस बेहतर तरीके से समझने में मदद करता है.
प्रमुख कारक: ग्राहकों से संबंध, उत्पादों की पकड़, वेंडर की शर्तें और मौजूदा विक्रेता
5. प्रतिस्पर्धी विश्लेषण: अगर उसी चीज पर बाजार में कोई अन्य प्रतिस्पर्धी भी काम कर रहा है, तो उन दोनों का अंतर हाइलाइट होना चाहिए. हालांकि, एक-एक बात की तुलना नहीं जाएगी लेकिन जो सर्विस और प्रोडक्ट इंडस्ट्री का दूसरा प्लेयर दे रहा है, उसे हाईलाइट करना महत्वपूर्ण होगा
प्रमुख कारक: बाजार में कुल कितने प्रतिस्पर्धी हैं, बाज़ार हिस्सेदारी, निकट भविष्य में प्राप्त करने योग्य बाज़ार हिस्सेदारी, दूसरे उत्पाद से साथ समानता और वो अंतर जो दूसरे प्रतिस्पर्धी से अलग है
6. सेल्स एवं मार्केटिंग: बेशक आपका प्रोडक्ट या सर्विस कितनी भी अच्छी हो, लेकिन अंततः इसका उपयोग न हो, तो यह किसी काम की नहीं.
प्रमुख कारक: बिक्री का पूर्वानुमान, टार्गेट ऑडियंस, लक्ष्य पाने के लिए मार्केटिंग प्लान, कन्वर्जन एंड रिटेंशन रेशियो आदि.
7. वित्तीय मूल्यांकन: एक विस्तृत बिज़नेस मॉडल, जो पिछले कुछ वर्षों के कैश फ्लो, निवेश की जरूरत, मील के पत्थर, फायदे-नुकसान की स्थिति और ग्रोथ को दर्शाता है वह अच्छा कर सकता हैइस स्तर पर इस्तेमाल होने वाले अनुमान का उचित और स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए.
नमूना मूल्यांकन टेम्पलेट देखें क्लिक करें (टेम्पलेट सेक्शन के अंतर्गत सोर्स किया जाना)
8. बाहर निकलने का रास्ता: स्टार्टअप के लिए भविष्य में हो सकने वाले अधिग्रहण और पार्टनर के साथ काम करने की संभावना सामने रखना, निवेशकों के निर्णय के लिए यह एक महत्वपूर्ण पैरामीटर बन जाता है
9. प्रबंधन और टीम: कंपनी चलाने के लिए संस्थापक और प्रबंधन टीम का काम करने का तरीका और उनका लगाव ऊपर दिए गए सभी कामों के अलावा उतना ही अधिक महत्वपूर्ण है
बाहर निकलने के विभिन्न कारणों के साथ निवेशक स्टार्टअप में किए गए निवेश पर रिटर्न के बारे में भी समझते हैं. आदर्श रूप से, वेंचर कैपिटलिस्ट फर्म या किसी उद्यमी से निवेश की शुरुआत से पहले चर्चा के दौरान बाहर निकलने के विकल्पों पर भी चर्चा होनी चाहिए.अच्छी परफॉर्मेंस, प्रबंधन और संगठन की प्रक्रियाओं में श्रेष्ठ और जबर्दस्त ग्रोथ वाले स्टार्टअप के पास दूसरे स्टार्टअप की तुलना में बाहर निकलने का प्लान तैयार रहता है.
वेंचर कैपिटल और प्राइवेट इक्विटी फंड को फंड की लाइफ खत्म होने से पहले अपने सभी निवेश से बाहर निकल जाना चाहिए.बाहर निकलने के मुख्य तरीके निम्न हैं:
1. विलय और अधिग्रहण: निवेशक, पोर्टफोलियो कंपनी बाजार में किसी अन्य कंपनी को बेचने का फैसला कर सकता है. उदाहरण के लिए: दक्षिण अफ्रीकी इंटरनेट और मीडिया जायंट नेस्पर्स द्वारा रेडबस का $140mn अधिग्रहण और इसे अपने इंडिया आर्म इबिबो ग्रुप के साथ एकीकृत करते हुए, अपने निवेशकों, सीडफंड, इन्वेंटस कैपिटल पार्टनर्स और हेलियन वेंचर पार्टनर्स के लिए एक्जिट विकल्प प्रस्तुत किया.
2. आईपीओ: किसी प्राइवेट कंपनी द्वारा स्टॉक के रूप में लोगों के लिए पहली बार इनीशियल पब्लिक ऑफर लाया जाता है.यह पूंजी जुटाने या विस्तार के लिए प्राइवेट कंपनियों द्वारा जारी होता है, स्टार्टअप ऑर्गेनाइजेशन से बाहर निकलने के लिए यह निवेशकों का सबसे पसंदीदा विकल्प है.
3. वित्तीय निवेशकों के लिए निकासी: निवेशक अपना निवेश किसी अन्य वेंचर कैपिटल या प्राइवेट इक्विटी फर्म को बेच सकते हैं
4. डिस्ट्रेस्ड सेल: स्टार्टअप कंपनी पर वित्तीय दबाव के समय, निवेशक व्यवसाय को किसी अन्य कंपनी या वित्तीय संस्थान को बेचने का निर्णय ले सकते हैं
5. बायबैक: स्टार्टअप के संस्थापक भी फंड से अपने निवेश को भी खरीद सकते हैं.
टर्म शीट, डील के शुरुआती चरण में वेंचर कैपिटल फर्म द्वारा दिए गए प्रस्तावों की 'नॉन बाइंडिंग' (गैर बाध्यकारी) सूची है. इसमें इनवेस्टमेंट फर्म और स्टार्टअप के बीच हुई डील के मुख्य बिंदुओं का सारांश होता है.
भारत में वेंचर कैपिटल ट्रांजैक्शन के लिए टर्म शीट के तौर पर चार संरचनात्मक प्रावधान हैं: मूल्यांकन, निवेश और प्रबंधन का स्ट्रक्चर, और शेयर पूंजी में बदलाव.
1. मूल्यांकन: स्टार्टअप मूल्यांकन, कंपनी की कुल कीमत होती, जिसका आकलन एक पेशेवर मूल्यांकनकर्ता करता हैस्टार्टअप कपनी का मूल्यांकन करने के कई तरीके हैं जैसे डुप्लीकेट एप्रोच, मार्केट मल्टीपल एप्रोच, डिस्काउंटेड कैश फ्लो एनालिसिस (DCF) और विभिन्न चरणों के आधार पर मूल्यांकननिवेशक, स्टार्टअप की मार्केट मेच्योरिटी और निवेश की स्तर के आधार पर अपना मूल्यांकन करते हैं.
2. निवेश का स्वरूप: यह दिखाता है कि वेंचर कैपिटल ने स्टार्टअप में किस तरह का निवेश किया है. इक्विटी के जरिए, कर्ज या फिर दोनों.
3. मैनेजमेंट स्ट्रक्चर: टर्म शीट में कंपनी के मैनेजमेंट स्ट्रक्चर का पूरा ब्योरा होता है. जिसमें बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स, उनकी नियुक्ति और उन्हें हटाने की प्रक्रियाएं भी शामिल होती हैं.
4. शेयर पूंजी में बदलाव: स्टार्टअप में निवेश करने वाले निवेशकों की अपनी समय सीमा होती है. इसी के अनुसार वह बाहर निकलने की संभावनाओं को तलाशते हुए राउंड ऑफ फंडिंग यानी धीरे-धीरे निवेश का विकल्प खुला रखते हैंटर्म शीट, कंपनी की शेयर पूंजी में आने वाले परिवर्तनों के संबंध में हिस्सेदारों के अधिकार और उनके दायित्वों के बारे में भी बताती है.
आपके पासवर्ड में कम से कम इतने वर्ण होने चाहिए:
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कृपया इसके एक्सेस के लिए अपनी फ्रोफाइल पूरी करें.
भारत में स्टार्टअप ईकोसिस्टम के सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए स्टार्टअप इंडिया पोर्टल अपने आप में अनूठा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है.
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