अल्बर्ट आइस्टीन सही थे, जब उन्होंने कहा था कि-
""भीड़ के साथ चलने वाली महिलाएं भीड़ से आगे नहीं बढ़ पाती हैं. जो महिलाएं अपनी राह पर अकेले चलती हैं, वह उस मुकाम तक पहुंचती हैं, जहां पहले कोई नहीं पहुंचा."
महिला आंत्रप्रिन्योर आज के कॉर्पोरेट जगत का एक अभिन्न हिस्सा बन गई हैं. वे मातृत्व और उद्यमिता दोनों के प्रति न केवल अपने कर्तव्यों का निर्वाह समान रूप से करने में सक्षम हैं, बल्कि सभी बिज़नेस के लगभग आधे हिस्से की मालिक भी हैं. आज, अधिकांश महिलाएं परंपरागत, लिंग-विशिष्ट भूमिकाओं की बेड़ियों को तोड़ रही हैं और बिज़नेस की दुनिया में कदम रख रही हैं. पिछले दशक में महिला उद्यमियों की संख्या के साथ-साथ उनके पहल के सफलता में भी तेजी से वृद्धि हुई है. दस वर्ष पहले उद्यमशीलता के ईकोसिस्टम में अल्पसंख्यक होने के बावजूद, आज दुनिया के कुल उद्यमियों में 37% महिलाएं हैं. हाल ही में ग्लोबल आंत्रप्रेन्योरशिप मॉनिटर ने पाया कि 126 मिलियन महिलाएं अपना बिज़नेस शुरू कर रहीं हैं या चला रही हैं, और 98 मिलियन महिलाएं स्थापित (साढ़े तीन वर्ष से ज्यादा) बिज़नेस को संभाल रही हैं. 224मिलियन महिलाएं ग्लोबल इकोनॉमी को प्रभावित करती हैं - और यह सर्वे विश्व बैंक द्वारा मान्यता प्राप्त 188 देशों में से केवल 67 का है.
महिलाओं का रुख उद्यमशीलता की ओर तेजी से बढ़ने का एक प्रमुख कारण काम के प्रति उनका जुनून है. महिला आंत्रप्रिन्योर के लिए प्रेरणा का एक अन्य कारक नियंत्रण की इच्छा है. कई सफल महिला उद्यमियों को अपना खुद का बॉस होने और अपनी कंपनी चलाने के लिए उकसाया जाता है, और अगर वह किसी अन्य के लिए काम कर रही हैं, तब ऐसा नहीं होता है. उनका प्राथमिक लक्ष्य धन-संपदा नहीं बल्कि व्यक्तिगत संतुष्टि और समुदायिक भागीदारी है. अधिकांश सफल महिला आंत्रप्रेन्योर द्वारा शेयर किया गया एक अन्य प्रेरक कारक है कि उनमे मल्टीटॉस्किंग की क्षमता और अपने गोल-ओरिएंटेड अप्रोच के साथ परिवार व करियर के बीच संतुलन करने की प्रवृत्ति होती है.
महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों को पीछे छोड़ रही हैं. जब बात एजुकेशन की आती है, तो सफल महिला आंत्रप्रेन्योर में पाई जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण सामान्य विशेषता हायर एजुकेशन डिग्री है. महिला उद्यमी बेहतर हेल्थ केयर बेनिफिट पैकेज, नौकरी प्रशिक्षण और शिक्षा पर, छात्रों के लिए अधिक ट्यूशन प्रतिपूर्ति और कर्मचारियों की शिक्षा को जारी रखने और अपने कर्मचारियों को अधिक छुट्टी व वैतनिक अवकाश के विकल्प प्रदान करती हैं, जिससे फर्म की समृद्धि बढ़ती है.
महिला उद्यमी खुद को समूहों या परिसंघों से जोड़ रही हैं. इस ट्रेंड का उद्देश्य महिलाओं का मजबूत बिज़नेस नेटवर्क स्थापित करना है, जहां सदस्य एक साथ रिसोर्स और विशेषज्ञता को शेयर कर सकें. इसके अलावा, सरकारी योजनाओं और भारतीय महिला उद्यमियों के अनेकों एसोसिएशन जैसे फेडरेशन ऑफ इंडियन विमेन आंत्रप्रेन्योर्स ने उद्यमशीलता की दुनिया में कदम रखने के लिए प्रोत्साहन और रिसोर्स प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यह कोई संयोग नहीं है कि जिस राज्य की साक्षरता दर अधिक होती है, वहां महिला उद्यमियों की संख्या अधिक होती है. वास्तव में, भारत में महिलाओं के नेतृत्व वाली सभी लघु औद्योगिक इकाइयों में महाराष्ट्र व चार दक्षिणी राज्यों की महिला उद्यमियों का योगदान 50% से अधिक है.
यद्यपि महिला उद्यमिता और महिलाओं का व्यापार नेटवर्क तेजी से बढ़ रहा है, फिर भी ऐसी कई महिला उद्यमी हैं, जो अपने बेहतरीन व्यापार आइडिया के साथ आगे बढ़ रही हैं. कई भावी महिला उद्यमी अपने स्टार्ट-अप हेतु लिए जाने वाले ऋण से डर सकती हैं. सूचना प्रौद्योगिकी और बिज़नेस स्किल्स के बारे में ज्ञान की कमी दूसरी चुनौती हो सकती है.
महिला उद्यमियों के रास्ते में आने वाले सभी बाधाओं के बावजूद निकट भविष्य में उनके लिए कई आशाजनक भविष्यवाणियां हैं. यद्यपि कई सफल बिज़नेस वेंचर आपस में संबंधित हैं, फिर कई ऐसे उद्योग मौजूद हैं और तेजी से विकसित हो रहे हैं. अनुभव हमेशा लाभदायक होता है; तथापि, व्यक्ति को अपने उद्योग, उपभोक्ता आधार और प्रतिस्पर्धियों पर पर्याप्त अनुसंधान करना होगा और उन उद्यमियों से बात करनी होगी जो पहले से ही प्रक्रिया से गुजर चुके हैं. इसके अलावा, बिज़नेस के क्षेत्र में आगे बढ़ने हेतु महिलाओं के बिज़नेस नेटवर्क को स्थापित करने के लिए महिलाओं के ऐसे कई संघ बनाए जाएंगे.
उद्यमशीलता एक सीखने लायक अनुभव है और यहां तक कि बेहत सफल व्यापार मालिकों को अपनी कंपनी चलाते समय नई चीजों को सीखने का मौका मिलता है. उद्यमशीलता से विकास, समृद्धि और सामाजिक समस्याओं का समाधान होता है. और आज के रुझानों से पता चलता है कि भविष्य में महिलाएं, आंत्रप्रेन्योर के विकास की प्रेरक शक्ति होंगी.