इनोवेशन व व्यवसाय

1 बौद्धिक संपदा अधिकार

बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) इन्नोवेशन के लिए अनिवार्य हैं. ये एक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की नीव हैं. ये नव-आविष्कार और अधिकार का मेल हैं. ये हमारी अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों के लिए मान्य हैं और किसी भी उद्यम की कुशलता को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिदिन और भी महत्त्वपूर्ण बनते जा रहे हैं. IPR का मकसद है उद्यमी/ आविष्कारक को उसके आविष्कार की सुरक्षा करने के कानूनी अधिकार देना, और साथ ही, औरों को गैर कानूनी रूप से उस आविष्कार का शोषण करने से रोकना, और फलस्वरूप एक ही चीज़ के पुनः आविष्कार को रोकना.

आविष्कारों के संरक्षण के लिए देखें IPR के विभिन्न साधन:-

  • कॉपीराइट: यह रचनात्मक कार्य, जैसे संगीत, लेखन, कला, लेक्चर, नाटक, कला प्रतिकृतियां, मॉडल, फोटो, कंप्यूटर सॉफ्टवेर आदि के संरक्षण से संबंधित है.
  • पेटेंट: यह व्यावहारिक इनाेवेशन से संबंधित है और इसका लक्ष्य श्रेष्ठ, गैर-स्पष्ट और उपयोगी आविष्कारों की रक्षा करना है.
  • ट्रेडमार्क: यह कमर्शियल चिन्हों से संबंधित है और विशिष्ट अंकों को संरक्षित करता है, जैसे, शब्द/ चिन्ह, जैसे व्यक्तिगत नाम, अक्षर, अंक, आलंकारिक तत्व (लोगो), डिवाइस, विशिष्ट रूप से दिखाई देने वाले 2डी या 3डी चिन्ह/ आकार या उनका मेल, विशिष्ट रूप से सुनाई देने वाले चिन्ह (साउंड मार्क), जैसे किसी जानवर की आवाज़ या किसी शिशु की हंसी, विशिष्ट रूप से सूंघे जाने वाले चिन्ह (स्मेल मार्क), किसी सुदंध का उपयोग.
  • इंडस्ट्रियल डिज़ाइन: यह केवल आंखों से विशिष्ट रूप से दिखाई देने और आंकलन किए जाने वाली, औद्योगिक या मैनुअल या मेकैनिकल या केमिकल प्रक्रिया (या इनके मेल से) से बनाई जाने वाली 2डी या 3डी वस्तुओं में उपयोग किए जाने वाले रंगों या लाइनों के आकार, व्यवस्था, पैटर्न, अलंकरण या रचना की नई गैर-कार्यात्मक विशेषताओं का संरक्षण करता है.
  • भौगोलिक संकेत (GI): यह औद्योगिक प्रॉपर्टी का वह पहलू है, जो प्रोडक्ट के निर्माण के स्थान या देश से संबंधित होता है. आमतौर पर, इस संबंध से प्रोडक्ट की क्वालिटी और विशिष्टता पर भरोसा बढ़ता है, जो कि केवल उसके निर्माण के स्थान, क्षेत्र, देश आदि से उत्पन्न होता है. आमतौर पर, ऐसा नाम प्रोडक्ट की क्वालिटी और विशिष्टता का भरोसा देता है, जिसका श्रेय, मूल रूप से उसके निर्माण के भौगोलिक स्थान, क्षेत्र या देश को दिया जा सकता है.

बौद्धिक संपदा अधिकार हमेशा प्रादेशिक होते हैं. वैश्विकरण और टेक्नोलॉजी के तेज़ प्रचार ने बौद्धिक संपदा अधिकार का महत्त्व और भी बढ़ा दिया है. 

2 बौद्धिक संपदा अधिकार के नियम व कानून

भारत, विश्व व्यापार संगठन (WTO) का संस्थापक सदस्य है और हमने बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं पर समझौता (TRIPS) को मंज़ूरी दी है. समझौते के अनुसार, भारत सहित सभी सदस्य देशों को, परस्पर तय किए गए नियमों व मानकों का पालन, निर्धारित समय-सीमाओं के अंदर करना होगा. तदनुसार, भारत ने एक बौद्धिक संपदा अधिकार शासन प्रणाली बनाई है, जो WTO के अनुकूल है, और सांविधिक, प्रशासनिक व न्यायिक रूप से प्रमाणित है.

इसके गहरे महत्त्व को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने बौद्धिक संपदा प्रशासन को सरल व कारगर बनाने के लिए विस्तृत कदम उठाए हैं. DIPP के तहत पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेडमार्क के कंट्रोलर जनरल (CGPDTM) इसके केंद्रीय अधिकारी हैं, और पेटेंट, डिज़ाइन, ट्रेडमार्क और भौगोलिक संकेत से संबंधित सभी मुद्दों का प्रशासन करते हैं, और इसके सभी कार्यों की देखरेख करते हैं :-

  1. पेटेंट ऑफिस (डिज़ाइन विंग सहित)
  2. पेटेंट जानकारी सिस्टम (PIS)
  3. ट्रेडमार्क रजिस्ट्री (TMR), और
  4. भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री (GIR)

इसके अलावा, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के शिक्षा विभाग में एक 'कॉपीराइट ऑफिस' बनाया गया है, जहां कॉपीराइट एवं संबंधित अधिकारों की रजिस्ट्री जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं.

इंटीग्रेटेड सर्किट के लेआउट डिज़ाइन से संबंधित मामलों के लिए, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का आईटी विभाग केंद्रीय संस्था है. कृषि मंत्रालय का 'पौधे की किस्मों का संरक्षण और किसान अधिकार प्राधिकरण' विभाग पौधों की किस्मों से संबंधित नीतियों और उपायों का प्रशासन करता है.

भारत में IPR से संबंधित विधान/ कानून हैं: -

क. ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999

ख. वस्तुओं का भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999

ग. डिज़ाइन अधिनियम, 2000

घ. पेटेंट अधिनियम, 1970 और 2002 व 2005 के उसके संशोधन

ङ. भारतीय कॉपीराईट अधिनियम, 1957 और संशोधित कॉपीराईट (संशोधन) अधिनियम, 1999

च. सेमीकंडक्टर इंटीग्रेटेड सर्किट लेआउट डिज़ाइन अधिनियम, 2000

छ. सेमीकंडक्टर इंटीग्रेटेड सर्किट लेआउट डिज़ाइन अधिनियम, 2000

3 ट्रिप्स (TRIPS)

बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं पर समझौता (ट्रिप्स).यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रणाली में पहली बार बौद्धिक संपदा के अधिकारों को लेकर आया. यह समझौता, विश्व के सभी बौद्धिक संपदा अधिकारों के बीच, सुरक्षा और प्रभाव की हदों की असमानताओं को मिटाकर ,उनको एक समान स्तर पर लेकर आया, जो अब पूरे विश्व में मान्य है. सभी सदस्य देशों को निर्धारित समय-सीमाओं के अंदर इन मानकों का पालन करना होता है, ताकि बौद्धिक संपदा अधिकारों की प्रभावपूर्ण सुरक्षा हो सके और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कुरूपता और बाधाएं कम हो सकें.